भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) यूएपीए जैसे कठोर कानून के प्रावधानों के तहत उमर खालिद की गिरफ्तारी कड़ी निंदा करती है।पार्टी के राज्य सचिव कामरेड सुरेंद्र सिंह ने प्रेस बयान जारी करते हुए कहा कि यह नताशा नरवाल, देवांगना कलिता, इशरत जहां, कांग्रेस पार्टी के पूर्व पार्षद, जामिया के छात्र मीरान हैदर के अलावा राजद के युवा नेता, आसिफ तनहा, सफ़ुरा ज़ागर और गुलफ़िशा फातिमा और शिफ़रउल रहमान की यूएपीए के तहत हिरासत की कड़ी में ही एक कदम है। नफरत फैलाने वाले भाषण देने और हिंसा भड़काने वाले शीर्ष भाजपा नेताओं को केंद्र सरकार द्वारा संरक्षित किया जा रहा है, जबकि सीएए के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वाल युवाओं को निशाना बनाया जा रहा है। देश के गृह मंत्रालय व दिल्ली पुलिस द्वारा सीएए-विरोधी प्रदर्शनों को सांप्रदायिकता से जोड़कर मनगढ़ंत पटकथा लिखी जा रही हैं जिनके तहत लोगों को गिरफ्तार किया जा रहा है। केंद्र सरकार की विशेष शाखा को पूछताछ के लिए सीएए का विरोध करने वाले कार्यकर्ताओं को पूछताछ के लिए बुलाना और गृह मंत्रालय व पुलिस द्वारा लक्षित लोगों को फंसाने की कोशिश बंद करनी चाहिए।यूएपीए का उपयोग न्याय की उन सामान्य प्रक्रियाओं को अवरुद्ध करना है जिसके तहत वे जमानत पर बाहर आ सकते हैं। जैसा कि निचली अदालतों में से कईयों ने उल्लेख किया है कि उनमें से किसी के भी खिलाफ हिंसा भड़काने के सबूतों का एक टुकड़ा नहीं है। इन गिरफ्तारीयों से असहमति के लोकतांत्रिक अधिकार की संवैधानिक गारंटी पर हमला होता है।सीपीआई (एम) ने सीएए-एनआरसी-एनपीआर का शुरू से ही संसद के अंदर व बाहर पूरे देश में कई विरोध प्रदर्शनों के माध्यम से विरोध किया है। हम अपने मजबूत विरोध को दोहराते हैं। हम उन सभी के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त करते हैं जो केंद्र सरकार के दमन का सामना कर रहे हैं। सीपीआईएम दिल्ली सांप्रदायिक हिंसा मामले में यूएपीए के तहत गिरफ्तार सभी लोगों की रिहाई की मांग करती है।हाल के घटनाक्रम इस बात की ओर इशारा करते हैं कि दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा की स्वतंत्र जांच सेवानिवृत्त जज से करवाए जाने की सख्त आवश्यकता है क्योंकि केंद्रीय गृह मंत्रालय के मार्गदर्शन में दिल्ली पुलिस द्वारा की जा रही जांच पक्षपातपूर्ण है, जिससे हिंसा के सही कारणों तक नहीं पहुंचा जा सकता।