भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की हरियाणा राज्य कमेटी दिल्ली पुलिस द्वारा फरवरी में दिल्ली में हुई भयावह सांप्रदायिक हिंसा के संबंध में प्रमुख राजनीतिक नेताओं, शिक्षाविदों, सांस्कृतिक हस्तियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को फंसाने की कोशिश की कड़ी निन्दा करती है। घोर पक्षपातपूर्ण और प्रतिशोध की इस कार्रवाई का हर स्तर पर विरोध किया जाएगा।प्रैस ब्यान जारी करते हुए राज्य सचिव सुरेंद्र सिंह ने कहा कि यह एकदम स्पष्ट है कि संगठित सांप्रदायिक हिंसा की अपनी कहानी लिखने में, भाजपा-आरएसएस ने दिल्ली दंगों को “नागरिकता संशोधन अधिनियम” (सीएए) विरोधी प्रदर्शनकारियों द्वारा एक “गहरी साजिश” के रूप में पेश किया है। नवीनतम कड़ी के रूप में, दिल्ली पुलिस ने भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव #सीताराम_येचुरी, प्रसिद्ध अर्थशास्त्री #जयती_घोष, दिल्ली विश्वविद्यालय के #प्रोफेसर_अपूर्वानंद, स्वराज अभियान के नेता #योगेंद्र_यादव और डॉक्यूमेंट्री फिल्म निर्माता #राहुल_रॉय सहित अन्य प्रमुख हस्तियों को घसीटा है। इन लोगों पर आरोप लगाया गया है कि इन्होंने प्रदर्शनकारियों को एक ‘योजना’ के हिस्से के तहत हिंसा के लिए प्रोत्साहित किया था। इन प्रतिष्ठित हस्तियों के नाम दिल्ली पुलिस द्वारा एफआईआर 50/20 के लिए दायर पूरक चार्जशीट में सामने आए हैं, जो कथित रूप से सीएए-एनआरसी का विरोध करने वाले प्रदर्शनकारियों को प्रेरित करने में उनकी कथित भूमिका के संबंध में हैं। दिल्ली पुलिस की यह कार्रवाई प्रमुख राजनीतिक विरोधियों को झूठे केसों में फंसाने और उन्हें बदनाम करने के लिए पुलिस और अन्य केंद्रीय एजेंसियों जैसे सीबीआई, एनआईए, ईडी के व्यापक दुरुपयोग के बढ़ते षड्यंत्र के अनुरूप है। सरकार द्वारा संविधान के प्रावधानों के विपरीत शक्तियों के ज़बरदस्त दुरुपयोग का सख्ती से विरोध करने वालों को परेशान करने और उनका अपमान करने के लिए एनएसए, यूएपीए और सेडिशन एक्ट के कठोर प्रावधानों को लागू करना इस षड्यंत्र का हिस्सा है। भीमा-कोरेगांव मामले में एनआईए का मनमाना आचरण और उसके दायरे को बढ़ाना षड्यंत्र का पर्दाफाश करता है। इसी तरह, इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा एनएसए के प्रावधानों को हटाने और डॉ. कफील खान को जमानत दिए जाने में भी यह षड्यंत्र स्पष्ट रूप में सामने आया है। कुल मिलाकर, यह लोकतंत्र और संविधान पर एक गंभीर हमले की योजना है। दिल्ली पुलिस द्वारा उसके राजनीतिक आकाओं की योजना को आगे बढ़ाने के लिए किए गए इस घृणित और आपत्तिजनक कार्रवाई की माकपा निंदा करती है और सरकार से आग्रह करती है कि वह शांतिपूर्ण राजनीतिक विरोध प्रदर्शनों का आपराधिकरण करने से बाज आए। माकपा उन राजनीतिक कैदियों की बिना शर्त रिहाई की भी पुरजोर मांग करती है, जो मनगढ़ंत आरोपों के तहत चल रहे मामलों में जेल में बंद हैं। राज्य कमेटी अपनी इकाइयों, सभी राजनीतिक दलों, संगठनों और व्यक्तियों, जो लोकतंत्र और संविधान के मूल्यों के लिए प्रतिबद्ध हैं, से लोकतंत्र पर इस नृशंस हमले का विरोध करने की अपील करती है।