हरियाणा सरकार द्वारा केंद्र सरकार से जीएसटी का अपना हिस्सा ना मांगना राज्य के हित के लिए घातक है। राज्य के सभी जनप्रतिनिधियों को पार्टी प्रतिबद्धता से ऊपर उठकर राज्य हित में इसके लिए आवाज उठानी चाहिए। उक्त बयान जारी करते हुए भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के राज्य सचिव कामरेड सुरेंद्र सिंह ने कहा कि कल केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा जीएसटी परिषद की बैठक में यह स्वीकार करना कि केंद्र सरकार राज्य सरकारों को इस वित्तीय वर्ष, 2020-21 के लिए उनके बकाये का भुगतान करने में असमर्थ है, निहायत ही हास्यास्पद है। राज्यों के लिए जीएसटी राजस्व की अनुमानित कमी 2.35 लाख करोड़ रुपए है। राज्यों से इस अंतर को पाटने के लिए रिजर्व बैंक से उधार लेने की बात कही गई, जोकि बेहद आपत्तिजनक है। केंद्र सरकार जीएसटी बकाया के भुगतान के अपने दायित्वों को पूरा करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य है। अगर जरूरत पड़े तो केंद्र सरकार उधार उठाकर राज्यों को भुगतान करे परंतु केंद्र सरकार राज्य सरकारों को उधार लेने के लिए मजबूर नहीं कर सकती है।माकपा ने कहा कि महामारी के आने से पहले ही भारतीय अर्थव्यवस्था मंदी की ओर बढ़ गई थी, अब केंद्र सरकार अपने दायित्वों को पूरा करने में असमर्थता के लिए “दैवीय प्रकोप” को दोष दे रही है। यह पूरी तरह से क्रूरतापूर्ण और भ्रामक है तथा किसी भी तरह से स्वीकार्य नहीं है। केंद्र सरकार को राज्यों के प्रति अपने दायित्वों को पूरा करना चाहिए और राज्यों को तुरंत जीएसटी का हिस्सा देना चाहिए। हरियाणा की भाजपा सरकार को भी अपने राज्य का हिस्सा मांगना चाहिए। यह राज्य का अधिकार है। चुप रह कर समर्पण करना राज्य के हित के लिए नुकसानदायक है। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी मांग करती है कि केंद्र सरकार हरियाणा को जीएसटी के हिस्से का भुगतान करे।